“कल सूरज सर पे पिघलेगा तो याद करोगे, कि माँ से घना कोई दरख़्त नहीं था … इस पछतावे के साथ कैसे जियोगे, कि वो तुमसे बात करना चाहती थी और तुम्हारे पास वक़्त नहीं था”
“कल सूरज सर पे पिघलेगा तो याद करोगे, कि माँ से घना कोई दरख़्त नहीं था … इस पछतावे के साथ कैसे जियोगे, कि वो तुमसे बात करना चाहती थी और तुम्हारे पास वक़्त नहीं था”