#Muntashirism

Achha likhne ke liye ishq ho jaana zaroori hai… Bahut achha likhne ke liye us ishq ka kho jaana zaroori hai.

‪”Kabhi Khuddari Ki Sarhad Hi Nahin Laanghte Hain.. Bheekh To Chhoriye, Hum Hak Bhi Nahin Maangte Hain”

‪”Tu Kisi Ki Bhi Rahe, Teri Yaad Meri Hai.. Ameer Hoon Main, Ki Ye Jaydaad Meri Hai”

“Hawa me ghar banaya tha kabhi jo,
Usi ke saamne bebas pada hoon…
Tumhare bin dareecha kaun khole,
Kayi Janmo se main baahar khada hoon…!!!”

Kal aur aaj ke beech duniya badal gayi.
Ab aansoo bahane ki mohlat kahan.
Ishq me tadapne ki fursat kahan..
Lekin aaj bhi chay ki har pyali tera zikra karti hai….
Ae meri dost,mere dil ki tadap,meri adhoori Aarzu,
Tere hisse ki shaam aaj bhi khali guzarti hai.

“कल सूरज सर पे पिघलेगा तो याद करोगे, कि माँ से घना कोई दरख़्त नहीं था … इस पछतावे के साथ कैसे जियोगे, कि वो तुमसे बात करना चाहती थी और तुम्हारे पास वक़्त नहीं था”

‘Kaun kahta hai ki mazhabon ka andhera, humari nas-nas me utar aayaa… Mere mohalle me kuchh chhatein Hindu theein, kuchh Musalmaan, chaand dono se nazar aayaa.’

‪’न दिन है न रात है.. कोई तनहा है न साथ है.. जैसी आँखें वैसी दुनिया.. बस इतनी सी बात है’

‘Seene ke uss kone me bhi tu hai, jahan dil hota hai.. ‬
‪Itna zyada koi kisi ke andar dakhil hota hai..???‬
‪Bhaagta phirta hoon main tujhse, roz subah se shaam talak…‬
‪Phir bhi meri saas-saas mein, tu hi shamil hota hai…!!!’

अजीब शख़्स था, दिल से कभी उतर न सका,
मैं उसका फ़ोन से नम्बर डिलीट कर न सका.
जलाया, ज़हर दिया और लहूलुहान किया,
पर एक ख़्वाब था जो मारने से मर न सका.

“वो शहर जहां बरसात में, हम दोनो भीगें साथ में, जहां आसमाँ हों जुड़े-जुड़े,
और दिल परिंदों सा उड़े, जो झूठ-सच के पार है, जहां प्यार है बस प्यार है,
मैं तुझे वहीं ले जाऊँगा, मेरे साथ चल”

कोई अधूरा इश्क़ है जिसकी खालिश अभी तक तारी है…
रात वो ख़्वाबों में आया था, बदन सुबह से भारी है..!!!

“बयान सच के तराज़ू में तोलता हूँ मैं…
तेरी ख़ुशी के लिए थोड़ी बोलता हूँ मैं ..!!!”

“मैं वो बुलबुल, मोहब्बत है जिसे तेरी सलाख़ों से …
तू पिंजरा खोल भी देगा तो मेरा उड़ना मुश्किल है”

जब अपने दिल का कमरा तुम ख़ाली पाओगी, मैं आ जाऊँगा…
जब शाम ढले तन्हाई से तुम घबराओगी, मैं आ जाऊँगा…
जब किसी बात पर आँख तुम्हारी बन जाए झरना..तुम पलकें बंद करके दस तक गिनती करना…
मैं आ जाऊँगा…!!!

“वो हाथ कंधे से कैसे जुड़ा हुआ है अभी, दुपट्टा जिसने किसी बहन का चुराया था…
ये मोमबत्तियाँ मर्दानगी पे लानत हैं, कि मर्द वो है जो लंका जला के आया था..!!!”

अभी हाथ हाथों से छूटे नहीं हैं, अभी रोक लो तो ठहर जाऊँगा मैं,
कहाँ ढूंढ़ोगे फिर, कहाँ फिर मिलूंगा, अगर वक्त बन के गुजर जाऊंगा मैं..!!!